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Showing posts from January, 2018

Gyani Pandit Ji - मन को जीतना ही सबसे बड़ा तप है

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⚛️  मन को जीतना ही सबसे बड़ा तप है  ⚛️   -------------------------------------------- एक ऋषि यति-मुनि एक समय घूमते-घूमते नदी के तट पर चल रहे थे। मुनि को मौज आई। हम भी आज नाव पर बैठकर नदी की सैर करें और प्रभु की प्रकृति के दृश्यों को देखें। चढ़ बैठे नाव को देखने के विचार से । मुनिवर नीचे के खाने में गये, जहां नाविक का सामान और निवास होता है । जाते ही उनकी दृष्टि एक कुमारी कन्या पर पड़ी, जो नाविक की पुत्री थी। कुमारी इतनी रुपवती थी कि मुनिवर विवश हो गये, उन्हें मूर्च्छा सी आ गई।.देवी  ने उनके मुख में पानी डाला तो होश आया। कुमारी ने पूछा ―"मुनिवर ! क्या हो गया ?" मुनि बोला― "देवी ! मैं तुम्हारे सौन्दर्य पर इतना मोहित हो गया कि मैं अपनी सुध-बुध भूल गया अब मेरा मन तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। मेरी जीवन मृत्यु तुम्हारे आधीन है।" कुमारी बोली ― "आपका कथन सत्य है, परन्तु मैं तो नीच जाति की मछानी हूं।" मुनि― "मुझमें यह सामर्थ्य है कि मेरे स्पर्श से तुम शुद्ध हो जाओगी।" कुमारी ― "पर अब तो दिन है।" मुनि― "मैं अभी रात कर दिखा

Gyani Pandit - सत्कर्म का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता ।

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🔯  महाभारत की एक शिक्षाप्रद कहानी  🔯 सत्कर्मों का फल देर से मिलने की वजह से लोग अक्सर दुष्कर्मों को अपना लेते है । किन्तु ऐसा करने वाले हमेशा याद रखे “ अपने किये हुए कर्म का फल जीव अवश्य भोगता है ” ऐसा गीता में कहा गया है । “ सत्कर्म का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता ” यह इस छोटी सी कहानी में समझाया गया है । महाभारत के समय की बात है । उस समय सभी लोग नदियों के किनारे या घाट पर स्नान करने जाया करते थे । एक दिन प्रातःकाल द्रौपदी भी यमुना स्नान को गई । उसी समय एक महात्मा भी उससे थोड़ी ही दुरी पर स्नान करने आये । महात्मा ने अपना एक वस्त्र यमुना किनारे रख दिया और नदी में उतरकर नहाने लगे । थोड़ी ही देर में जब दौपदी ने स्नान कर लिया तो वह नगर की ओर जाने को हुई, तभी उसने देखा कि महात्मा अभी भी यमुना में ही खड़े थे (महात्मा का अधोवस्त्र यमुना के तीव्र प्रवाह में बह चूका था ) । उसे आश्चर्य तो हुआ किन्तु फिर भी वह आगे बढ़ दी । थोड़ी दूर जाने के बाद उसने फिर मुड़कर महात्मा की ओर देखा तो पता चला कि महात्मा नदी में नहीं है । ध्यान से देखने पर ज्ञात हुआ कि महात्मा पास की एक झाड़ी में छुपकर बैठ गये

Gyani Pandit Ji - क्‍यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?

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हमारे देश में  मकर संक्रांति  के पर्व का व‍िशेष महत्‍व है, जिसे हर साल जनवरी के महीने में धूमधाम से मनाया जाता है. इस द‍िन सूर्य उत्तरायण होता है यानी कि पृथ्‍वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है. परंपराओं के मुताबिक इस द‍िन सूर्य मकर राश‍ि में प्रवेश करता है. देश के व‍िभिन्‍न राज्‍यों में इस पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. हालांकि प्रत्‍येक राज्‍य में इसे मनाने का तरीका जुदा भले ही हो, लेकिन सब जगह सूर्य की उपासना जरूर की जाती है. लगभग 80 साल पहले उन द‍िनों के पंचांगों के अनुसार मकर संक्रांति 12 या 13 जनवरी को मनाई जाती थी, लेकिन अब व‍िषुवतों के अग्रगमन के चलते इसे 13 या 14 जनवरी को मनाया जाता है. साल 2018 में इसे 14 जनवरी को मनाया जाएगा.     क्‍या है मकर संक्रांति?  सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं. एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है. एक जगह से दूसरी जगह जाने अथवा एक-दूसरे का मिलना ही संक्रांति होती है. हालांकि कुल 12 सूर्य संक्रांति हैं, लेकिन इनमें से मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति प्रमुख हैं.   क्‍

Gyani Pandit Ji - प्रमुख कर्तव्य -एक प्रसंग जिंदगी का:

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बच्चे कहेगें मां बाप से हमारा अच्छे से पालन पोषण करना तुम्हारा कर्तव्य हे ,मां बाप कहेगें बेटा बुढापे मे हमारी सेवा करना तुम्हारा कर्तव्य हे , पत्नी कहेगी पति से हमारी देखभाल करना व भरण पोषण करना तुम्हार कर्तव्य हे ,पति कहेगा घर- बार संभालना परिवार की सेवा करना तुम्हारा कर्तव्य हे ,सरकार कहेगी जनता से कि वोट देना ,कर देना व कानून की पालना करना करना जनता का कर्तव्य हे ,जनता कहेगी सरकार से की हमारी रक्षा करना प्राथमिक सुविधाये देना सरकार का कर्तव्य हे ,यानि हर व्यक्ति अपने हित के लिये दुसरे को अपने कर्तव्य की याद दिलाता हे पर भगवान /गुरू ही हमारे हित के लिये कहते है कि तु आत्मा हे देह नही अपने असली स्वरूप को जानकर हमेशा के लिये दु:खो से मुक्त हो जाना तुम्हारा परम कर्तव्य हे ! एक    राजा बहुत दिनों से पुत्र की प्राप्ती के लिये आशा लगाये बैठा था, पर पुत्र नही हुआ । उसके सलाहकारों ने तांत्रिकों से सहयोग की बात बताई । सुझाव मिला कि किसी बच्चे की बलि दे दी जाये तो पुत्र प्राप्ती हो जायेगी । राजा ने राज्य में ये बात फैलाई कि जो अपना बच्चा देगा उसे बहुत सारे धन दिये जायेगे । एक पर

Gyani Pandit Ji - भगवान शिव हम सभी के ईष्ट हैं।

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* भगवान शिव हम सभी के ईष्ट हैं। वे सभी की पीड़ा, दर्द को समझते हैं। * शिव के सिर पर गंगा है, उनके सिर पर चंद्रमा विराजते हैं, उन्हें 'चंन्द्रमौलि' कहते हैं। * शिव की आराधना, साधना, उपासना से मनुष्य अपने पापों एवं संतापों से इसी जन्म में मुक्ति पा सकता है। * सोमवार चंद्रवार है, इसीलिए चंद्रमा को तृप्त करने के लिए कावरिए अपनी कावरों में घंटियां बांधे हुए 'हर बम' 'हर हर महादेव', 'बम बोले बम' 'ॐ नम: शिवाय' आदि कहते हुए शिवधाम जाते हैं। * भगवान शिव मात्र एक लोटा जल, बेलपत्र, मंत्र जप से ही प्रसन्न हो जाते है। अत: मनुष्य अगर शिव का इतना भी पूजन कर लें तो पाप कर्मों से सहज मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

Gyani Pandit Ji - जरा देखो, क्या होता है जब तुम मांस खाते हो??

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🔴 🙏 ‼️      माँसाहारी बनकर अपनी धार्मिक उर्जा खो मत देना ‼️ 🙏 🙏 ‼️ आदमी को, स्वाभाविक रूप से, एक शाकाहारी होना चाहिए, क्योंकि पूरा शरीर शाकाहारी भोजन के लिए बना है। वैज्ञानिक इस तथ्य को मानते हैं कि मानव शरीर का संपूर्ण ढांचा दिखाता है कि आदमी गैर-शाकाहारी नहीं होना चाहिए। आदमी बंदरों से आया है। बंदर शाकाहारी हैं, पूर्ण शाकाहारी। अगर डार्विन सही है तो आदमी को शाकाहारी होना चाहिए ❗️ 🙏 ‼️ अब जांचने के तरीके हैं कि जानवरों की एक निश्चित प्रजाति शाकाहारी है या मांसाहारी: यह आंत पर निर्भर करता है, आंतों की लंबाई पर। मांसाहारी पशुओं के पास बहुत छोटी आंत होती है। बाघ, शेर इनके पास बहुत ही छोटी आंत है, क्योंकि मांस पहले से ही एक पचा हुआ भोजन है। इसे पचाने के लिये लंबी आंत की जरूरत नहीं है। पाचन का काम जानवर द्वारा कर दिया गया है। अब तुम पशु का मांस खा रहे हो। यह पहले से ही पचा हुआ है, लंबी आंत की कोई जरूरत नहीं है। आदमी की आंत सबसे लंबी है: इसका मतलब है कि आदमी शाकाहारी है। एक लंबी पाचनक्रिया की जरूरत है, और वहां बहुत मलमूत्र होगा जिसे बाहर निकालना होगा। 🙏 ‼️ अगर आदमी मांसाहारी