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वसंत पंचमी का त्योहार by Gyani Pandit

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वसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से की जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण कर पूजा-अर्चना करती हैं। पूरे साल को जिन छः मौसमों में बाँटा गया है, उनमें वसंत लोगों का मनचाहा मौसम है। सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छि़ड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। पर्व का महत्व : वसंत ऋतु में मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास भरने लगते हैं। यूं तो माघ का पूरा मास ही उत्साह देने वाला होता है, पर वसंत पंचमी का पर्व हमारे ...

निर्जला एकादशी और मंगलवार का योग, निर्जल रहकर व्रत करने की परंपरा, द्वादशी पर जल कलश का दान करें by Gyani Pandit (2-June-2020)

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ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, इस दिन निर्जल रहकर करना होता है व्रत |   मंगलवार, 2 जून को निर्जला एकादशी है। सालभर की सभी एकादशियों से ज्यादा महत्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल की एकादशी का है। इसे निर्जला, पांडव और भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस एक दिन के व्रत से सालभर की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य फल मिलता है। इसे एकादशी को क्यों कहते हैं भीमसेनी एकादशी महाभारत की एक प्रचलित कथा के अनुसार भीम ने एकादशी व्रत के संबंध में वेदव्यास से कहा था मैं एक दिन तो क्या, एक समय भी खाने के बिना नहीं रह सकता हूं, इस वजह से मैं एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त नहीं कर संकूगा। तब वेदव्यास ने ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी के बारे में बताया। उन्होंने भीम से कहा कि तुम इस एकादशी का व्रत करो। इस एक व्रत से तुम्हें सालभर की सभी एकादिशियों का पुण्य मिल जाएगा। भीम ने इस एकादशी पर व्रत किया था, इसी वजह से इसे भीमसेनी एकादशी कहते हैं। इसे क्यों कहते हैं निर्जला एकादशी इस तिथि पर निर्जल रहकर यानी बिना पानी पिए व्रत ...

Gyani Pandit Ji - गरुड़जी के सात प्रश्न तथा काकभुशुण्डि के उत्तर

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कलिमल नशावन ,श्री राम कथा पावन,जे नर मन से गावहीं । प्रभु पद पावन,पद रज भावन,अजय भक्ति सो पावहीं ।।         || इसमें कोई संशय नही है||                        ||ऱाम|| चौपाई : * पुनि सप्रेम बोलेउ खगराऊ। जौं कृपाल मोहि ऊपर भाऊ॥। नाथ मोहि निज सेवक जानी। सप्त प्रस्न मम कहहु बखानी॥1॥ भावार्थ:-पक्षीराज गरुड़जी फिर प्रेम सहित बोले- हे कृपालु! यदि मुझ पर आपका प्रेम है, तो हे नाथ! मुझे अपना सेवक जानकर मेरे सात प्रश्नों के उत्तर बखान कर कहिए॥1॥ * प्रथमहिं कहहु नाथ मतिधीरा। सब ते दुर्लभ कवन सरीरा॥ बड़ दुख कवन कवन सुख भारी। सोउ संछेपहिं कहहु बिचारी॥2॥ भावार्थ:-हे नाथ! हे धीर बुद्धि! पहले तो यह बताइए कि सबसे दुर्लभ कौन सा शरीर है फिर सबसे बड़ा दुःख कौन है और सबसे बड़ा सुख कौन है, यह भी विचार कर संक्षेप में ही कहिए॥2॥ * संत असंत मरम तुम्ह जानहु। तिन्ह कर सहज सुभाव बखानहु॥ कवन पुन्य श्रुति बिदित बिसाला। कहहु कवन अघ परम कराला॥3॥ भावार्थ:-संत और असंत का मर्म (भेद) आप जानते हैं, उनके सहज स्वभाव का वर्णन...

Gyani Pandit Ji - ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||

Gyani Pandit Ji - कलियुग में हनुमानजी का निवास

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भगवान बजरंगबली, भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। रुद्र अवतार बजरंग बली(हनुमानजी) का बल, पराक्रम, ऊर्जा, बुद्धि, सेवा व भक्ति के अद्भुत व विलक्षण गुणों से भरा चरित्र सांसारिक जीवन के लिए आदर्श माना जाता हैं। यही वजह है कि शास्त्रों में हनुमान को 'सकलगुणनिधान' भी कहा गया है।   पौराणिक मान्यताओं के अनुसार में कलियुग में हनुमानजी का निवास गन्धमादन पर्वत (वर्तमान में रामेश्वरम धाम के नजदीक) पर है। माना जाता है कि कलियुग में जहां-जहां हनुमान के इष्ट श्रीराम का ध्यान और स्मरण होता है, ब जरंगबली अदृश्य रूप में उपस्थित रहते हैं। शास्त्रों में उनके गुणों की स्तुति में लिखा भी गया है कि, 'यत्र-यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र-तत्र कृत मस्तकांजलिं।' इस तरह श्रीहनुमान का स्मरण हर युग में अलग-अलग रूप और शक्तियों के साथ संकटमोचक बन जगत को विपत्तियों से उबारते रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास, हनुमान चालीसा में लिखा है, 'चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा।' यानी हनुमान ऐसे देवता है, जो हर युग में किसी न किसी रूप, शक्ति और गुणों के साथ जगत के लिए संकटमोचक बनकर मौजूद रहते ह...

Gyani Pandit Ji - कौन कौनसी कथाये है गणेशजी के एकदंत होने के पीछे

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भगवान श्री गणेश को हम एकदंत भी कहते है क्योकि गौर से देखने पर इनकी प्रतिमा या फोटो में इनका एक दन्त आधा टुटा हुआ दिखाई देगा | हमारे धर्म ग्रन्थ इसके पीछे अलग अलग कथाये बताते है | आइये जाने कौन कौनसी कथाये है गणेशजी के एकदंत होने के पीछे :   कथा 1 : परशुराम जी अपने परशे से तोडा गणेश जी का एक दांत : एक बार विष्णु के अवतार भगवान परशुराम जी शिवजी से मिलने कैलाश पर्वत पर आये | शिव पुत्र गणेश जी ने उन्हें रोक दिया और मिलने की अनुमति नही दी | इस बात पर परशुराम जी क्रोधित हो उठे और उन् होंने श्री गणेश को युद्ध के लिए चुनौती दी दी | श्री गणेश भी पीछे हटने वालो में से नही थे | दोनों के बीच घोर युद्ध हुआ | इसी युद्ध में परशुरामजी के फरसे से उनका एक दांत टूट गया | कथा 2 : कार्त‌िकेय ने ही तोडा उनका दांत : भविष्य पुराण में एक कथा आती है जिसमे कार्त‌िकेय ने श्री गणेश का दन्त तोडा | हम सभी जानते है की गणेशजी अपने बाल अवस्था में अति नटखट हुआ करते थे | एक बार उनकी शरारते बढती गयी और उन्होंने अपने ज्येष्ठ भाई कार्त‌िकेय को परेशान करना शुरू कर दिया | इन सब हरकतों से परेशान होकर एक बार कार...

Gyani Pandit Ji - अगर घर पर तुलसी, तो ध्यान रखिए ये बातें:

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अगर घर पर तुलसी, तो ध्यान रखिए ये बातें: हिंदू धर्म में तुलसी को पूजनीय माना जाता है। तुलसी को पाप का नाश करने वाली माना गया है। इनका पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि इनकी पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। सभी तरह की पूजा तथा धार्मिक कार्यों में तुलसी का उपयोग किया जाता है। तुलसी पत्ती से पूजा, व्रत, यज्ञ, जप, होम तथा हवन करने का पुण्य मिलता है। युगों से यह परंपरा चली आ रही है कि घर के आंगन में तुलसी का पौधा होना चाहिए। जिससे घर में देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे और घर में सकारात्मक ऊर्जा की बढोत्तरी हो। शास्त्रों के अनुसार अगर आपने अपने घर में तुलसी का पौधा रखा है तो कुछ बातों का ध्यान जरुर रखना चाहिए। जिससे घर का वातावरण सुखद बना रहे और कभी धन की कमी न हो। साथ ही घर के किसी भी सदस्य को कभी कोई शारिरिक समस्या नही होती है। जानिए शास्त्रों के अनुसार तुलसी के संबंध में ये बातें। 1) रोज करना चाहिए तुलसी की पूजा: शास्त्रों के अनुसार हमें रोज तुलसी की पूजा करनी चाहिए। रोज शाम को तुलसी माता के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो लोग शाम के समय तुलसी के ...

Gyani Pandit Ji - बुधवार के दिन श्रीगणेश की विशेष मंत्रों से पूजा

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बुधवार के दिन श्रीगणेश की विशेष मंत्रों से पूजा अत्यंत फलदायी मानी गई है। विघ्न और संकटों से बचाकर जीवन के हर सपने व इच्छाओं को पूरा करने वाली मानी गई है। जब जीवन में हर तरफ दुख हो, संकट हो और निकलने का कोई मार्ग न दिखे तो गौरीपुत्र गजानन की आराधना तुरंत फल देती है। भगवान गणेश की सात्विक साधनाएं अत्यंत सरल तथा प्रभावी होती है। इनमें अधिक विधि-विधान की भी जरूरत नहीं होती केवल मन में भाव होने मात्र से ही गणेश अपने भक्त को हर संकट से बाहर निकालते हैं और सुख-समृदि्ध का मार्ग दिखा ते हैं। जानिए, प्रतिदिन या प्रति बुधवार कैसे और किन विशेष मंत्रों से श्री गणेश की पूजा करें-   - सुबह सूर्योदय से पहले जागें और स्नान करें। - घर या देवालय में पीले वस्त्र पहन श्रीगणेश की पूजा सिंदूर, दूर्वा, गंध, अक्षत, अबीर, गुलाल, सुंगधित फूल, जनेऊ, सुपारी, पान, मौसमी फल व भोग में लड्डू अर्पित करें। - पूजा के बाद पीले आसन पर बैठ नीचे लिखे अचूक श्रीगणेश मंत्र से पूजन संपन्न करें। 🕉  हर प्रकार की सिद्धि दिलाता है गणेश गायत्री मंत्र  🕉 ॐ एकदंताया विद्महे , वक्रतुण्डाय धीमहि,, तन्नो दंत...

Gyani Pandit Ji - History of Kedarnath Temple

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One of the holiest pilgrimages for the Hindus, Kedarnath Temple Jyotirlinga is located in the picturesque surroundings of Rudra Himalaya Range at a height of 12000 feet on a mountain named Kedar. Near Kedarnath is the source of the river Mandakini that joins Alakananda at Rudraprayag. The temple at Kedarnath enshrining the Jyotirlingam of Shiva opens only 6 months a year (April-November). The priests then go to Ukhimath, where the worship of Kedareshwara is continued during the winter season.   Tradition has it that when undertaking Kedarnath Yatra pilgrims first visit Yamunotri and Gangotri and bring with them the holy waters from the sources of the rivers Yamuna and Ganga and offer abhishek to Shri Kedareshwara. Legend goes that Nara and Narayana - two incarnations of Shri Vishnu performed severe penance in Badrikasharaya of Bharat Khand, in front of a Shivalingam fashioned out of earth. Pleased with their devotion, Lord Shiva appeared in front of them and said that they...