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Gyani Pandit Ji - क्या होगा कलियुग के अंत में, जानिए...

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महर्षि व्यासजी के अनुसार कलयुग  में मनुष्यों में वर्ण और आश्रम संबंधी प्रवृति नहीं होगी। वेदों का पालन कोई नहीं करेगा। कलयुग में विवाह को धर्म नहीं माना जाएगा। शिष्य गुरु के अधीन नहीं रहेंगे। पुत्र भी अपने धर्म का पालन नहीं करेंगे। कोई किसी कुल में पैदा ही क्यूं न हुआ जो बलवान होगा वही कलयुग में सबका स्वामी होगा। सभी वर्णों के लोग कन्या बेचकर निर्वाह करेंगे। कलयुग में जो भी किसी का वचन होगा वही शास्त्र माना जाएगा। कलयुग में थोड़े से धन से मनुष्यों में बड़ा घमंड होगा। स्त्रियों को अपने केशों पर ही रूपवती होने का गर्व होगा। कलयुग में स्त्रियां धनहीन पति को त्याग देंगी उस समय धनवान पुरुष ही स्त्रियों का स्वामी होगा। जो अधिक देगा उसे ही मनुष्य अपना स्वामी मानेंगे। उस समय लोग प्रभुता के ही कारण सम्बन्ध रखेंगे। द्रव्यराशी घर बनाने में ही समाप्त हो जाएगी इससे दान-पुण्य के काम नहीं होंगे और बुद्धि धन के संग्रह में ही लगी रहेगी। सारा धन उपभोग में ही समाप्त हो जाएगा। कलयुग की स्त्रियां अपनी इच्छा के अनुसार आचरण करेंगी हाव-भाव विलास में ही उनका मन लगा रहेगा। अन्याय से धन पैद...

Gyani Pandit Ji - पीपल में है शनि देव का वास !

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पीपल में है शनि देव का वास ! हमारे सनातन धर्म में सभी पेड़ पौधो में पीपल की पूजा का अत्यंत महत्व है | धर्म शास्त्रों में बताया गया है की इस पेड़ में त्रिदेव के साथ लक्ष्मी जी शनि और बालाजी महाराज का भी वास है | सभी 33 कोटि देवी देवता इसमे निवास करते है | शनिवार के दिन भगवान शनिदेव संध्या के समय इस वृक्ष में निवास करते है अत: शनिवार के दिन संध्या के समय एक तेल का दीपक जरुर प्रज्जवलित करना चाहिए | आइये जाने कैसे शनि भगवान का वास पीपल में हुआ , इससे जुडी पौराणिक कथा, क्यों शनि  का वास पीपल में ! एक समय कि बात है असुरो ने तीन लोक और चौदय भुवन में अपना आतंक पनपा रखा था | एक असुर कैटभ ने तो एक ऋषि आश्रम में पीपल का रूप धारण कर रखा था | जब भी कोई ऋषि किसी कारण वश उस पेड़ के निचे आता तो वो असुर उसे निगल जाता | इस तरह उस आश्रम से ऋषि गण कम होने लगे | वे कैसे लापता हो रहे थे , यह सभी के लिए पहेली बना हुआ था | सभी ऋषि मुनि सूर्यदेवता के पुत्र शनिदेव के पास गए और उनसे सहायता कि गुहार लगाईं, तब शनिदेव उनकी प्रार्थना सुनकर एक ऋषिमुनि के वेश धारण किया और उस आश्रम में रहने लगे | एक दि...

Gyani Pandit Ji - जानिए शिव की वेशभूषा का रहस्य?

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जानिए शिव की वेशभूषा का रहस्य? समस्त हिन्दू देवी - देवताओ में महादेव शिव के वेशभुसा सबसे विचित्र और रहस्मयी है तथा आध्यात्मिक रूप से भगवान शिव के इस वेश और रूप में अत्यन्त गहरे अर्थ छिपे हुए है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव के वेश-भूसा से जुड़े इन प्रतिको के रहस्यों को जान लेने पर मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।भगवान शिव की वेश-भूसा ऐसी है की हर धर्म का व्यक्ति उसमे अपना प्रतीक ढूढ़ सकता है। आइये जानते है भगवान शिव और उनकी वेश-भूसा से जुड़े रहस्य। क्यों है भगवान शिव के ललाट पर तीसरा नेत्र :- 〰️ 〰️ 🌼 〰️ 〰️ 🌼 〰️ 〰️ 🌼 〰️ 〰️ 🌼 〰️ 〰️ हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार अधिकतर सभी देवताओ की दो आँखे है परन्तु भगवान शिव ही एक मात्र ऐसे देवता बताए गए है जिनकी तीन आँखे है जिस कारण वे त्रिनेत्रधारी भी कहलाते है। हिन्दू धर्म के अनुसार ललाट पर तीसरी आँख आध्यात्मिक गहराई को बताती है। तीसरी आँख से अभिप्राय मनुष्य का संसार के सभी बन्धनों से मुक्त होकर सम्पूर्ण रूप से ईश्वर को प्राप्त हो जाना है। जहा भगवान शिव की तीसरी आँख स्थित है वह आज्ञा चक्र का स्थान भी है जो मनुष्य के बुद्धि का स्रो...