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Gyani Pandit Ji - ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||

Gyani Pandit Ji - मन को जीतना ही सबसे बड़ा तप है

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⚛️  मन को जीतना ही सबसे बड़ा तप है  ⚛️   -------------------------------------------- एक ऋषि यति-मुनि एक समय घूमते-घूमते नदी के तट पर चल रहे थे। मुनि को मौज आई। हम भी आज नाव पर बैठकर नदी की सैर करें और प्रभु की प्रकृति के दृश्यों को देखें। चढ़ बैठे नाव को देखने के विचार से । मुनिवर नीचे के खाने में गये, जहां नाविक का सामान और निवास होता है । जाते ही उनकी दृष्टि एक कुमारी कन्या पर पड़ी, जो नाविक की पुत्री थी। कुमारी इतनी रुपवती थी कि मुनिवर विवश हो गये, उन्हें मूर्च्छा सी आ गई।.देवी  ने उनके मुख में पानी डाला तो होश आया। कुमारी ने पूछा ―"मुनिवर ! क्या हो गया ?" मुनि बोला― "देवी ! मैं तुम्हारे सौन्दर्य पर इतना मोहित हो गया कि मैं अपनी सुध-बुध भूल गया अब मेरा मन तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। मेरी जीवन मृत्यु तुम्हारे आधीन है।" कुमारी बोली ― "आपका कथन सत्य है, परन्तु मैं तो नीच जाति की मछानी हूं।" मुनि― "मुझमें यह सामर्थ्य है कि मेरे स्पर्श से तुम शुद्ध हो जाओगी।" कुमारी ― "पर अब तो दिन है।" मुनि― "मैं अभी रात कर दिखा ...

Gyani Pandit Ji -बुधवार का दिन गणपति जी का दिन माना जाता है,लेकिन ??

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प्रत्येक भगवान के कुछ पवित्र दिन और प्रिय नाम होते हैं। माना जाता है कि अपने ईष्‍ट देवी-देवताओं के प्रिय नाम लेने से वह जल्‍दी ही प्रसन्‍न होते हैं और मनोकामना की पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। इसी प्रकार से भगवान गणेश के भी कुछ नाम हैं जो उन्‍हें अतिप्रिय हैं। भगवान गणेश की आराधना में इन नामों के जप से शुभ फल की प्राप्ति होती है। 🕉  जानिए गणपति जी के प्रिय नाम ।  🕉   गजानन  इस नाम का अर्थ है – जिसका मुख हाथी के मुख के समान हो अर्थात् भगवान गणेश का मुख हाथी का है। यह नाम गणपति जी को अत्‍यंत प्रिय है। लंबोदर भगवान गणपति का पेट (उदर) बड़ा है, इस कारण उनका नाम लंबोदर पड़ा। ऐसा कहा जाता है कि बड़ा पेट किसी का विश्‍वास जीतने का प्रतीक है। गणाध्यक्ष सभी देवगणों के अध्यक्ष होने के नाते भगवान गणेश गणाध्‍यक्ष भी कहलाते हैं। गणेश जी अपने विशिष्‍ट गुणों के कारण गणाध्यक्ष हैं। गजकर्ण भगवान गणेश का मुख और कान हाथी के समान होने के कारण उन्‍हें सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। सुमुख गणेशजी को सुंदर मुख वाला कहा गया है। शास्‍त्रों में उल्‍लेख है कि उनके दर्शन...

Gyani Pandit Ji - Om Suryaya Namah ~ Blessed Sunday Divine Souls

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Hinduism lays great emphasis on worshipping the five gods. Lord Shiva and his Roop Hanuman, Lord Vishnu, Lord Ganesha, Maa Shakti and Surya Dev (Sun-god). One who renders devotional service to and worships any of these deities and does japa of their names gets all kinds of benefits – material, other-worldly, moral and spiritual. The Sun is the symbol of the Self-god. As the Self-god illuminates the mind, the intellect and the body, the Sun illuminates the world. But the Sun  too is illuminated by the Atman. Who is the knower of the existence or non-existence of the Sun? It is your real ‘I’, your Real Self. Your real ‘I’ is blazing in the form of the Sun. The Sun is the symbol of Knowledge and is the source of light, ojas, lustre, power and vitality. Elaborating on the meaning of Surya, the scriptures say: Surya is Su(supreme) + rya (inspiring). Thus Surya means ‘the supreme one that inspires’. ‘O Surya! O Lord! Illuminate my intellect with Knowledge. You are the ancient ...

Gyani Pandit Ji - जब श्री गणेश का सर काटा गया??

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श्री गणेश का सिर काटकर शिव जी ने एक न्याय का उदहारण दिया था ।।  जब गणेश का सर काटा गया उस समय गणेश ने अपनी माता के कहे अनुसार अपने कर्तव्य का पालन किया, परन्तु उस समय गणेश को अपनी क्षमता और शक्ति पर अहंकार था कि उसको माता शक्ति ने अपने शरीर के हल्दी चन्दन के अंश से बनाया तो जिस शक्ति और शिव के तप और संतुलन(मीज़ान) से आकाशगंगाएं अपनी धुरी पर केन्द्रित रहती हैं वो सबसे बलशाली है और जब शंकर जी कैलाश आये तब शंकर जी को अपने अहंकार के वश में होने के कारणवश गणेश के द्वारा अभद्र व्यव् हार हुआ।। जो उस समय एक बहुत ही चिंता का विषय थी क्योंकि जो स्वयं में इतनी शक्ति का अलौकिक सूत्र होने के बाद भी अपने अहंकार के कारण शंकर के उस रूप को ना पहचानता हो तब नंदी और बाकी शिवगणों ने गणेश को शिव का रास्ता रोकने से मना किया तब भी गणेश ने अपने अहंकार के कारण रास्ते से हटने की बजाय शिवगणों को ये कहकर ललकारा था कि अगर आपमें शक्ति है तो मुझे हटाकर दिखाओ और गणेश से सभी शिवगणों को परास्त कर दिया था।। उसके पश्चात् इतने सारे शिवगणों को परास्त करने के कारण गणेश में अहंकार और बढ़ा, वे सोचने लगे कि जब इतने ...

Gyani Pandit Ji - कौन कौनसी कथाये है गणेशजी के एकदंत होने के पीछे

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भगवान श्री गणेश को हम एकदंत भी कहते है क्योकि गौर से देखने पर इनकी प्रतिमा या फोटो में इनका एक दन्त आधा टुटा हुआ दिखाई देगा | हमारे धर्म ग्रन्थ इसके पीछे अलग अलग कथाये बताते है | आइये जाने कौन कौनसी कथाये है गणेशजी के एकदंत होने के पीछे :   कथा 1 : परशुराम जी अपने परशे से तोडा गणेश जी का एक दांत : एक बार विष्णु के अवतार भगवान परशुराम जी शिवजी से मिलने कैलाश पर्वत पर आये | शिव पुत्र गणेश जी ने उन्हें रोक दिया और मिलने की अनुमति नही दी | इस बात पर परशुराम जी क्रोधित हो उठे और उन् होंने श्री गणेश को युद्ध के लिए चुनौती दी दी | श्री गणेश भी पीछे हटने वालो में से नही थे | दोनों के बीच घोर युद्ध हुआ | इसी युद्ध में परशुरामजी के फरसे से उनका एक दांत टूट गया | कथा 2 : कार्त‌िकेय ने ही तोडा उनका दांत : भविष्य पुराण में एक कथा आती है जिसमे कार्त‌िकेय ने श्री गणेश का दन्त तोडा | हम सभी जानते है की गणेशजी अपने बाल अवस्था में अति नटखट हुआ करते थे | एक बार उनकी शरारते बढती गयी और उन्होंने अपने ज्येष्ठ भाई कार्त‌िकेय को परेशान करना शुरू कर दिया | इन सब हरकतों से परेशान होकर एक बार कार...

Gyani Pandit Ji - यदि कोई व्यक्ति हनुमान चालीसा की केवल इस पंक्ति का जप करता है तो

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1. हनुमान जी अत्‍यंत बलशाली हैं। और वे हर बुरी आत्‍माओं का नाश कर के लोगों को उससे मुक्‍ती दिलाते हैं। जिन लोगों को रात मे डर लगता है या फिर डरावने विचार मन में आते रहते हैं, उन्‍हें रोज हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिये। 2. साढे साती का प्रभाव कम करे: हनुमान चालीसा पढ़ कर आप शनि देव को खुश कर सकते हैं और साढे साती का प्रभाव कम करने में सफल हो सकते हैं। कहानी के मुताबिक हनुमान जी ने शनी देव की जान की रक्षा की थी, और फिर शनि देव ने खुश हो कर यह बोला था कि वह आज के बाद से किसी भी हनुमान भक्‍त का कोई नुकसान नहीं करेगें। 3. हम कभी ना कभी जान बूझ कर या फिर अनजाने में ही गल्‍तियां कर बैठते हैं। लेकिन आप उसकी माफी हनुमान चालीसा पढ़ कर मांग सकते हैं। रात के समय हनुमान चालीसा को कम से कम ग्यारह बार पढ़ने से आप सभी प्रकार के पाप से मुक्‍त हो सकते हैं। 4. जो भी इंसान हनुमान चालीसा को रात में पढेगा उसे हनुमान जी स्‍वंय आ कर सुरक्षा प्रदान करेगें। बचपन से ही हमें सिखाया गया है कि अगर कभी भी मन अशांत लगे या फिर किसी चीज से डर लगे तो, हनुमान चालीसा पढ़ो। ऐसा करने से मन शांत होता है और डर भी...