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वसंत पंचमी का त्योहार by Gyani Pandit

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वसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से की जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण कर पूजा-अर्चना करती हैं। पूरे साल को जिन छः मौसमों में बाँटा गया है, उनमें वसंत लोगों का मनचाहा मौसम है। सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छि़ड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। पर्व का महत्व : वसंत ऋतु में मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास भरने लगते हैं। यूं तो माघ का पूरा मास ही उत्साह देने वाला होता है, पर वसंत पंचमी का पर्व हमारे ...

नवरात्रि में अवश्य पढ़ें दुर्गा महिमा की यह पावन लोककथा by Gyani Pandit

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  Navratri Lok Katha - Jai Maa Durga कौशल देश में सुशील नामक का एक निर्धन ब्राह्मण रहता था। प्रतिदिन मिलने वाली भिक्षा से वह अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। उसके कई बच्चे थे। प्रातःकाल वह भिक्षा लेने घर से निकलता और सायंकाल लौट आता था। देवताओं, पितरों और अतिथियों की पूजा करने के बाद आश्रितजन को खिलाकर ही वह स्वयं भोजन ग्रहण करता था। इस प्रकार भिक्षा को वह भगवान का प्रसाद समझकर स्वीकार करता था। इतना दुःखी होने पर भी वह दूसरों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहता था। यद्यपि उसके मन में अपार चिंता रहती थी, तथापि वह सदैव धर्म-कर्म में लगा रहता था। अपनी इन्द्रियों पर उसका पूर्ण नियंत्रण था। वह सदाचारी, धर्मात्मा और सत्यवादी था। उसके हृदय में कभी क्रोध, अहंकार और ईर्ष्या जैसे तुच्छ विकार उत्पन्न नहीं होते थे। एक बार उसके घर के निकट सत्यव्रत नामक एक तेजस्वी ऋषि आकर ठहरे। वे एक प्रसिद्ध तपस्वी थे। मंत्रों और विद्याओं का ज्ञाता उनके समान आस-पास दूसरा कोई नहीं था। शीघ्र ही अनेक व्यक्ति उनके दर्शनों को आने लगे। सुशील के हृदय में भी उनसे मिलने की इच्छा जागृत हुई और वह उनकी सेवा में उपस्थित हुआ। स...

निर्जला एकादशी और मंगलवार का योग, निर्जल रहकर व्रत करने की परंपरा, द्वादशी पर जल कलश का दान करें by Gyani Pandit (2-June-2020)

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ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, इस दिन निर्जल रहकर करना होता है व्रत |   मंगलवार, 2 जून को निर्जला एकादशी है। सालभर की सभी एकादशियों से ज्यादा महत्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल की एकादशी का है। इसे निर्जला, पांडव और भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस एक दिन के व्रत से सालभर की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य फल मिलता है। इसे एकादशी को क्यों कहते हैं भीमसेनी एकादशी महाभारत की एक प्रचलित कथा के अनुसार भीम ने एकादशी व्रत के संबंध में वेदव्यास से कहा था मैं एक दिन तो क्या, एक समय भी खाने के बिना नहीं रह सकता हूं, इस वजह से मैं एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त नहीं कर संकूगा। तब वेदव्यास ने ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी के बारे में बताया। उन्होंने भीम से कहा कि तुम इस एकादशी का व्रत करो। इस एक व्रत से तुम्हें सालभर की सभी एकादिशियों का पुण्य मिल जाएगा। भीम ने इस एकादशी पर व्रत किया था, इसी वजह से इसे भीमसेनी एकादशी कहते हैं। इसे क्यों कहते हैं निर्जला एकादशी इस तिथि पर निर्जल रहकर यानी बिना पानी पिए व्रत ...

क्यों है श्रावण मास सबसे खास, पढ़ें पौराणिक कथाएं by Gyani Pandit

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पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रावण महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें श्रावण महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के श्रावण महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया। श्रावण में शिवशंकर की पूजा :-  श्रावण के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरुआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, ऑक मदार, जंवाफूल...

Gyani Pandit Ji - क्या होगा कलियुग के अंत में, जानिए...

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महर्षि व्यासजी के अनुसार कलयुग  में मनुष्यों में वर्ण और आश्रम संबंधी प्रवृति नहीं होगी। वेदों का पालन कोई नहीं करेगा। कलयुग में विवाह को धर्म नहीं माना जाएगा। शिष्य गुरु के अधीन नहीं रहेंगे। पुत्र भी अपने धर्म का पालन नहीं करेंगे। कोई किसी कुल में पैदा ही क्यूं न हुआ जो बलवान होगा वही कलयुग में सबका स्वामी होगा। सभी वर्णों के लोग कन्या बेचकर निर्वाह करेंगे। कलयुग में जो भी किसी का वचन होगा वही शास्त्र माना जाएगा। कलयुग में थोड़े से धन से मनुष्यों में बड़ा घमंड होगा। स्त्रियों को अपने केशों पर ही रूपवती होने का गर्व होगा। कलयुग में स्त्रियां धनहीन पति को त्याग देंगी उस समय धनवान पुरुष ही स्त्रियों का स्वामी होगा। जो अधिक देगा उसे ही मनुष्य अपना स्वामी मानेंगे। उस समय लोग प्रभुता के ही कारण सम्बन्ध रखेंगे। द्रव्यराशी घर बनाने में ही समाप्त हो जाएगी इससे दान-पुण्य के काम नहीं होंगे और बुद्धि धन के संग्रह में ही लगी रहेगी। सारा धन उपभोग में ही समाप्त हो जाएगा। कलयुग की स्त्रियां अपनी इच्छा के अनुसार आचरण करेंगी हाव-भाव विलास में ही उनका मन लगा रहेगा। अन्याय से धन पैद...

Gyani Pandit Ji - गरुड़जी के सात प्रश्न तथा काकभुशुण्डि के उत्तर

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कलिमल नशावन ,श्री राम कथा पावन,जे नर मन से गावहीं । प्रभु पद पावन,पद रज भावन,अजय भक्ति सो पावहीं ।।         || इसमें कोई संशय नही है||                        ||ऱाम|| चौपाई : * पुनि सप्रेम बोलेउ खगराऊ। जौं कृपाल मोहि ऊपर भाऊ॥। नाथ मोहि निज सेवक जानी। सप्त प्रस्न मम कहहु बखानी॥1॥ भावार्थ:-पक्षीराज गरुड़जी फिर प्रेम सहित बोले- हे कृपालु! यदि मुझ पर आपका प्रेम है, तो हे नाथ! मुझे अपना सेवक जानकर मेरे सात प्रश्नों के उत्तर बखान कर कहिए॥1॥ * प्रथमहिं कहहु नाथ मतिधीरा। सब ते दुर्लभ कवन सरीरा॥ बड़ दुख कवन कवन सुख भारी। सोउ संछेपहिं कहहु बिचारी॥2॥ भावार्थ:-हे नाथ! हे धीर बुद्धि! पहले तो यह बताइए कि सबसे दुर्लभ कौन सा शरीर है फिर सबसे बड़ा दुःख कौन है और सबसे बड़ा सुख कौन है, यह भी विचार कर संक्षेप में ही कहिए॥2॥ * संत असंत मरम तुम्ह जानहु। तिन्ह कर सहज सुभाव बखानहु॥ कवन पुन्य श्रुति बिदित बिसाला। कहहु कवन अघ परम कराला॥3॥ भावार्थ:-संत और असंत का मर्म (भेद) आप जानते हैं, उनके सहज स्वभाव का वर्णन...

Gyani Pandit Ji - हनुमान जयंती 2018: बजरंगबली से जुड़ें ये 9 रहस्य शायद आप नहीं जानते होंगे

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31 मार्च को हनुमान जयंती है। हनुमान जी सभी देवों में ऐसे देवता है जो अपने भक्तों के द्वारा प्रसन्न करने पर बहुत जल्द खुश हो जाते है। भक्तों के हर कष्ट को बस नाम लेने से ही हर लेते हैं भगवान हनुमान। भगवान हनुमान आज भी इस पृथ्वी पर जीवित स्थिति में भ्रमण करते हैं। पवन पुत्र बजरंगबली के जीवन के कुछ ऐसे रहस्य हैं जिनके बारें में शायद आपको नहीं मालूम होगा। हनुमान जयंती के मौके पर आइए जानते है उनके जीवन की 9 रहस्यमयी बातें। हनुमानजी के गुरू हनुमानजी मातंग ऋषि के शिष्य थे। वैसे तो हनुमान जी ने कई लोगों से शिक्षा ली थी। सूर्यदेव और नारदजी के अलावा इन्होंने मातंग ऋषि से भी शिक्षा-दीक्षा ली थी। कहते है मातंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है श्रीलंका के जंगलों में मंतग ऋषि के वंशज आदिववासी से हनुमान जी प्रत्येक 41 साल बाद मिलने आते है। हनुमानजी और भगवान राम के बीच का युद्ध हनुमान जी ने अपने प्रभु राम के साथ युद्ध भी किया था। दरअसल  एक बार भगवान राम के गुरु विश्वामित्र किसी कारणवश हनुमानजी से नाराज हो गए और उन्होंने रामजी को हनुमान जी को मौत की सजा देने को क...

Gyani Pandit Ji - ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||

Gyani Pandit Ji - भगवान शिव हम सभी के ईष्ट हैं।

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* भगवान शिव हम सभी के ईष्ट हैं। वे सभी की पीड़ा, दर्द को समझते हैं। * शिव के सिर पर गंगा है, उनके सिर पर चंद्रमा विराजते हैं, उन्हें 'चंन्द्रमौलि' कहते हैं। * शिव की आराधना, साधना, उपासना से मनुष्य अपने पापों एवं संतापों से इसी जन्म में मुक्ति पा सकता है। * सोमवार चंद्रवार है, इसीलिए चंद्रमा को तृप्त करने के लिए कावरिए अपनी कावरों में घंटियां बांधे हुए 'हर बम' 'हर हर महादेव', 'बम बोले बम' 'ॐ नम: शिवाय' आदि कहते हुए शिवधाम जाते हैं। * भगवान शिव मात्र एक लोटा जल, बेलपत्र, मंत्र जप से ही प्रसन्न हो जाते है। अत: मनुष्य अगर शिव का इतना भी पूजन कर लें तो पाप कर्मों से सहज मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

Gyani Pandit Ji -बुधवार का दिन गणपति जी का दिन माना जाता है,लेकिन ??

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प्रत्येक भगवान के कुछ पवित्र दिन और प्रिय नाम होते हैं। माना जाता है कि अपने ईष्‍ट देवी-देवताओं के प्रिय नाम लेने से वह जल्‍दी ही प्रसन्‍न होते हैं और मनोकामना की पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। इसी प्रकार से भगवान गणेश के भी कुछ नाम हैं जो उन्‍हें अतिप्रिय हैं। भगवान गणेश की आराधना में इन नामों के जप से शुभ फल की प्राप्ति होती है। 🕉  जानिए गणपति जी के प्रिय नाम ।  🕉   गजानन  इस नाम का अर्थ है – जिसका मुख हाथी के मुख के समान हो अर्थात् भगवान गणेश का मुख हाथी का है। यह नाम गणपति जी को अत्‍यंत प्रिय है। लंबोदर भगवान गणपति का पेट (उदर) बड़ा है, इस कारण उनका नाम लंबोदर पड़ा। ऐसा कहा जाता है कि बड़ा पेट किसी का विश्‍वास जीतने का प्रतीक है। गणाध्यक्ष सभी देवगणों के अध्यक्ष होने के नाते भगवान गणेश गणाध्‍यक्ष भी कहलाते हैं। गणेश जी अपने विशिष्‍ट गुणों के कारण गणाध्यक्ष हैं। गजकर्ण भगवान गणेश का मुख और कान हाथी के समान होने के कारण उन्‍हें सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। सुमुख गणेशजी को सुंदर मुख वाला कहा गया है। शास्‍त्रों में उल्‍लेख है कि उनके दर्शन...

Gyani Pandit Ji - शिव – कल्पना हैं या हकीकत?

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शिव – पौराणिक पात्र या सत्य ? एक बार एक बच्चे ने मुझसे पूछा, ‘यह जीवन हकीकत है या सपना?’ मैंने कहा, ‘जीवन एक सपना है पर यह सपना हकीकत है।’ इस उपमहाद्वीप ने पूरी दुनिया को यह सुंदर योग्यता दी है कि कैसे जीवन को एक साथ हकीकत और सपने के तौर पर देखा जा सकता है। इस जगह पलने वाला हर इंसान ‘माया’ को जानता है। वह जानता है कि हम जिस संसार में रहते हैं, यह जितना असली है, उतना ही नकली भी है।   यह नजरिया यहां की पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इस महाद्वीप की पौराणिक कथाएं निरी काल्पनिक नहीं रही हैं, न यह कोई विशुद्ध तथ्य रहा है। यह न तो कोई सजावटी कल्पना थी और न ही कोई आंकड़ा। यह कोई ‘इसका’ या ‘उसका’ प्रश्न भी नहीं था – यह हमेशा से दोनों ही था। यह अनंत काल तक का भी था और तत्काल भी। कल्पना और अंतर्दृष्टि का अद्भुत मेल, सत्य का एक गहरा स्तर। उसी ने इसे इतिहास से कहीं अधिक गहन बना दिया। जब मैं शिव, योग के स्रोत,  आदियोगी  की बात करता हूँ, तो अक्सर मुझसे पूछा जाता है कि मैं उन्हें कल्पना या इतिहास, धारणा या वास्तविकता, अतीत या वर्तमान में से; क्या मानता हूँ। मैं कहता हूँ, ‘दोनों। ...

Gyani Pandit Ji - Every moment has happiness it,If you loose its memory....

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So many of us live our lives always expecting for something to happen, tricking ourselves into thinking and believing that tomorrow will be better than today, that the next moment will be more precious and more valuable that this moment, constantly dreaming and hoping for something else, for something better, not realizing that Life is what happens to you, while you’re busy making other plans. ~ John Lennon Every moment has love in it , every moment has happiness it. If you l oose its memory , if you live it’s life ! If we could only start seeing this as being true and if we could only allow ourselves to be fully present in everything we do without the need to chase for something else, without the need to chase after something that will happen in the future, something that is not yet there we would be happy. When your mind is fully present and engaged in whatever you are doing each second of the day, you are content and you are at peaceful, for life is now, and life will always b...

Gyani Pandit Ji - ईश्वर हमारा भाग्य नहीं लिखता

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ईश्वर हमारा भाग्य नहीं लिखता, क्योंकि वह पसंद-नापसंद का कोई भी आरोप अपने ऊपर नहीं लेता । जीवन के हर कदम पर हमारी सोच, हमारे वचन और हमारे कर्म ही हमारा भाग्य लिखते है । अतः सदा स्मरण रखें... हर क्षण, कलम भी हमारी है... लिखावट भी हमारी है... और रचना भी हमारी ही है...!! किसी भी कर्म के लिए किसी को भी दोष न दे, भगवान को भी नहीं ।