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निर्जला एकादशी और मंगलवार का योग, निर्जल रहकर व्रत करने की परंपरा, द्वादशी पर जल कलश का दान करें by Gyani Pandit (2-June-2020)

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ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, इस दिन निर्जल रहकर करना होता है व्रत |   मंगलवार, 2 जून को निर्जला एकादशी है। सालभर की सभी एकादशियों से ज्यादा महत्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल की एकादशी का है। इसे निर्जला, पांडव और भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस एक दिन के व्रत से सालभर की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य फल मिलता है। इसे एकादशी को क्यों कहते हैं भीमसेनी एकादशी महाभारत की एक प्रचलित कथा के अनुसार भीम ने एकादशी व्रत के संबंध में वेदव्यास से कहा था मैं एक दिन तो क्या, एक समय भी खाने के बिना नहीं रह सकता हूं, इस वजह से मैं एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त नहीं कर संकूगा। तब वेदव्यास ने ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी के बारे में बताया। उन्होंने भीम से कहा कि तुम इस एकादशी का व्रत करो। इस एक व्रत से तुम्हें सालभर की सभी एकादिशियों का पुण्य मिल जाएगा। भीम ने इस एकादशी पर व्रत किया था, इसी वजह से इसे भीमसेनी एकादशी कहते हैं। इसे क्यों कहते हैं निर्जला एकादशी इस तिथि पर निर्जल रहकर यानी बिना पानी पिए व्रत किया