Gyani Pandit Ji - Importance of Havan or Yagya

Why do havan (agnihotra or homa) in Hindu dharma

वेदों में हवन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे अग्निहोत्र भी कहा जाता है। हमारे धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि शुभ काम की शुरुआत हवन से करनी चाहिए। 16 संस्कारों में से एक भी संस्कार हवन के बिना पूरा नहीं होता है। वेदों के मुताबिक अग्निहोत्र उतना ही जरूरी है, जितना जीने के लिए पानी। यही कारण था कि प्राचीनकाल में दो समय का अग्निहोत्र करना हर व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग था।

इसलिए बनाया गया हवन को हमारी संस्कृति- हमारे मुनि यह मानते थे कि आग में डाला हुआ कोई भी पदार्थ नष्ट नहीं होता है। हवन कुंड में डाला गया घी परमाणुओं में बदल जाता है। साथ ही, वह घी जो एक कटोरी में था, परमाणुओं के रूप में सारे घर में फैल जाता है। जिससे कई रोगों व दोषों का नाश होता है। अग्निहोत्र के विषय में जानने लायक एक बात यह भी है कि किसी चीज को आग में डालने से उसका दायरा, उसका क्षेत्र ही नहीं बढ़ता है, बल्कि उसके गुण भी बढ़ जाते हैं।

हवन करने से होते हैं ये फायदे- हवन सामग्री में कस्तूरी, केसर, अगर, तगर, चंदन, जटामांसी, इलायची, तुलसी, जायफल, जावित्री, कपूर व कपूर कचरी, गुग्गल, नागरमोथा, घी, फल, कंद, चावल, जौ, गेहूं, शहद, शक्कर, किशमिश, छुआरा, गिलोय, आदि पदार्थो का उपयोग प्रमुख रूप से किया जाता है। ये सभी औषधियां वायु को शुद्ध करती हैं। साथ ही, इनके प्रभाव से बीमारियों का नाश होता है। हवन में उपयोग किए जाने वाले सामान दुर्गंध दूर करने के अलावा वायुमंडल तक पहुंचकर मौसम का संतुलन भी बनाए रखते हैं।

वैज्ञानिक कारण- वैज्ञानिकों के अनुसार हवन करने पर फॉर्मेल्डीहाइड गैस पैदा होती है। यह गैस बिना परिवर्तित हुए वायुमंडल में फैल जाती है। इस गैस की यह विशेषता है कि जब यह वाष्प के साथ होती है तो कीटाणुनाशक का काम करती है। इसलिए हवन से जितनी भी फॉर्मेल्डीहाइड गैस पैदा होती है वह वायुमंडल को शुद्ध करती है।



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