Gyani Pandit Ji - How to get rid of Shani Dosha

!!Jai Shani Dev!! !!Jai Hanuman!!

धार्मिक मतानुसार शनि ग्रह के देवता शनि देव तीनों लोकों के न्यायाधीश हैं। शनि देव का न्याय पक्षरहित माना जाता है। वह न्याय के बीच अपने पिता (सूर्य देव) को भी नहीं आने देते। शनि देव महादशा (19 वर्षों के लिए), साढ़ेसाती (साढ़े सात वर्षों के लिए) और ढैय्या (ढाई वर्षों के लिए) में जातक को उसके कर्मों का फल देते हैं। जो अच्छे कर्म करते हैं उन्हें अच्छा फल और बुरे कर्म करने वालों को बुरा फल मिलता है।

ज्योतिषानुसार जब जन्म राशि (चन्द्र राशि) से गोचर में शनि द्वादश, प्रथम एवं द्वितीय स्थानों में भ्रमण करता है, तो साढ़े सात वर्ष के इस समय को शनि की साढ़ेसाती कहते हैं। (शनि को एक राशि से गुजरने में इसे ढाई वर्ष लगते हैं)
साढ़ेसाती के प्रभाव अधिकतर ज्योतिषियों का मानना है कि साढ़ेसाती का प्रभाव पूरे समय के लिए बुरा नहीं होता। इस समय का मात्र कुछ भाग ही कष्टकारी होता है बाकी का समय इंसान के लिए शुभ होता है। लेकिन कई बार इस अल्पकाल के अशुभ समय में ही इंसान मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह टूट जाता है।

जिन जातकों को शनि साढ़ेसाती से परेशानी हो उन्हें निम्न उपाय करने चाहिए: 
* सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करना चाहिए। 
* शनिवार को प्रात: काल पीपल के पेड़ पर जलदान करने से भी शनि पीड़ा से शांति मिलती है।
* मान्यता है कि शनि साढ़ेसाती के दौरान काले घोड़े के नाल की अंगूठी या नाव के कील की अंगूठी भी जातक के लिए लाभप्रद होती है। 
* शनिवार का व्रत और शनिवार को दान देने से भी शनि साढ़ेसाती के दौरान होने वाली पीड़ा से शांति मिलती है। 
** शनि देव से जुड़ी वस्तुएं जैसे काली उड़द की दाल, तिल, लौह, काले कपड़े आदि का दान देना चाहिए। 
* शनि शांति के लिए शनि दोष शांति यंत्र का प्रयोग भी किया जा सकता है। 



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