Gyani Pandit Ji - मनोकामना पूर्ति के लिए करें सूर्य उपासना
मनोकामना पूर्ति के लिए करें सूर्य उपासना
जीवन की उलझनों से बाहर निकलने के धार्मिक उपायों में सूर्य उपासना बहुत ही असरदार मानी गई है। सूर्य के बुरे प्रभाव से व्यक्ति का शरीर ही रोगी नहीं होता बल्कि मान, सम्मान की भी हानि हो सकती है। ऐसे में सूर्य की उपासना स्वास्थ्य, पद, प्रतिष्ठा और सुख देने वाली साबित होती है। सूर्य जीवन में प्रकाश का देवता है, इनकी गिनती हिन्दू धर्म में आदि पंच देवों में भी होती है। कलयुग में यहीं एक मात्र दृश्य देव माने गए है। सूर्य का प्रभाव ही जीवन में यश देता है। अत: माना जाता है कि सूर्य देव की जिसपर भी कृपा होती है वह जीवन में काफी ऊंचा नाम कमाता है।
रविवार सूर्य उपासना का दिन है। इसलिए यहां बताया जा रहा है सूर्य उपासना में बोले जाने वाला एक विशेष मंत्र जिसे ज्ञानशक्ति रूप मां गायत्री की भी उपासना का फल प्राप्त होता है। यह मंत्र है सूर्य गायत्री मंत्र। यह मंत्र जप रविवार के अलावा नियमित रूप करना भी बहुत शुभ होता है -
- रविवार को प्रात: स्नान कर सूर्य की प्रतिमा या तस्वीर की कुमकुम, अक्षत, फूल अर्पित कर धूप और दीप से आरती करें, सूर्यदेव को अर्घ्य दें और यथाशक्ति इस मंत्र का जप करें -
ॐ भास्कराय विद्महे, महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।।
यह मंत्र जप किसी भी मुश्किल हालात में मन ही मन स्मरण करने पर मनचाहे नतीजे भी देने वाला माना गया है।
वैसे तो सूर्य देव को प्रसन्न करने की कई विधियां हैं, लेकिन इनमें कई काफी कठिन हैं जो सामान्य सांसारिक मनुष्य द्वारा पूरी नहीं कर पाता।
मान्यता के अनुसार हर रविवार को सूर्य पूजन और सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करने से अवश्य लाभ मिलता है। ये सूर्य मंत्र आपकी समस्त मनोकामना पूर्ण करने में आपकी सहायता करते हैं। इसके साथ ही अगर भाषा व उच्चारण शुद्ध हो तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
यह हैं भगवान सूर्यदेव के आसान मंत्र -
1. ऊॅं घृणिं सूय्र्य : आदित्य:
2. ऊॅं ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ऊॅं ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ऊॅं ह्रीं घृणि: सूर्य आदित्य: क्लीं ऊॅं ।
5. ऊॅं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम: ।
6. ऊॅं सूर्याय नम: ।
7. ऊॅं घृणि सूर्याय नम: ।
2. ऊॅं ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ऊॅं ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ऊॅं ह्रीं घृणि: सूर्य आदित्य: क्लीं ऊॅं ।
5. ऊॅं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम: ।
6. ऊॅं सूर्याय नम: ।
7. ऊॅं घृणि सूर्याय नम: ।
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