Gyani Pandit Ji - संसार की यात्रा में तुम अकेले हो, (मृत्यु बोध)

संसार की यात्रा में तुम अकेले हो, परमात्मा साथ नहीं है, याद रखना। और जिनको तुमने संग- साथ समझा है, नदी - नाव संयोग है। बस अजनबी इकठ्ठे हो गये हैं नाव मे। कोई पत्नी बन गई है, कोई पति बन गया है, कोई बेटा बन गया है, कोई भाई बन गया है, कोई मित्र बन गया है..... और नाव मे थोड़ी देर को हमने कैसे - कैसे खेल रचा लिए हैं - मोह के, आसक्ति के, राग के।
यहां तुम बिल्कुल अकेले हो। मगर तुमने भ्रांति यह बना लिया है कि सब है भाई है पत्नी है, बेटा है, मित्र है। सब है, परिवार है प्रियजन है। जरा सोंचो। एक बार फिर से पर्दा उठाकर देखो अपने भीतर, तुम बिल्कुल अकेले हो या नहीं ? पत्नी बाहर है, पति बाहर है, भीतर तो तुम बिल्कुल अकेले हो। यह संग - साथ झूठा है, यह छोड़ना पड़ेगा, तो असली संगी मिले।
इसलिए मै कहता हूं, अकेले रह जाओगे, इसका मतलब यह मत समझना कि तुम अकेले हो गये,अकेले तुम रह जाओगे, तुम अचानक पाओगे, परमात्मा तुम्हारे साथ मौजूद है। असली संगी, असली साथी तुम्हारे साथ मौजूद है। और उसकी मौजूदगी ऐसी नहीं है कि वह पराया है। वह तुम्हारा अंतरतम है। वह तुम्हारे भीतर हीं जलता हुआ दीया है।

सारा अस्तित्व तुम्हारा है। सब कुछ तुम्हारे साथ है। न तुम कभी अकेले थे और न तुम कभी अकेले है सकते हो। मगर इस अनुभव के पहले अकेला तो होना पड़ेगा। यह झूठा संग-साथ है, इसकी तरफ पीठ करनी पड़ेगी।
अकेले होकर परमात्मा का साथ मिलता है, फिर कोई अकेला नहीं रह जाता। राह तुम्हें दिखा दी है। कैसे अपने भीतर की सीढ़ियां उतरो, तुम्हे बता दिया है। उतरना तो तुम्ही को पड़ेगा।
है

Comments

Popular posts from this blog

Gyani Pandit Ji - Importance of Havan or Yagya

Gyani Pandit Ji - क्यों होती है खंडित शिवलिंग की पूजा?

Gyani Pandit Ji - About Adiyogi (Lord Shiva)