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Showing posts from February, 2018

Gyani Pandit Ji - महाशिवरात्रि कथा और व्रत विधि

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महा शिवरात्रि के अनुष्ठान इस दिन भक्त लोग भगवान शिव  की स्तुति करते हुए श्लोक और भजन गीत गाते है ताकि उनको उनके पापों से मुक्ति मिल सके। वे परंपरागत रूप से शिवलिंग पर दूध पानी बेल के पत्ते और फलों को चडाते हैं। भक्त गंगा की पवित्र नदी में डुबकी से दिन की शुरूआत करते हैं। इस दिन अविवाहित महिला भक्त एक अच्छे पति के लिए पार्वती देवी को प्रार्थना करती हैं और विवाहित महिलाएं अपने पतियों और बच्चों की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं। मंदिरों में पूजा करने के लिए भक्त पवित्र का प्रयोग करते हैं। कुछ लोग शिवलिंगम पर गाय का दूध चडाते हैं। "शंकरजी की जय" और "महादेवजी की जय" के नारे लगाये जाते है। महाशिवरात्रि कथा वैसे तो इस महापर्व के बारे में कई पौराणिक कथाएं मान्य हैं, परन्तु हिन्दू धर्म ग्रन्थ शिव पुराण की विद्येश्वर संहिता के अनुसार इसी पावन तिथि की महानिशा में भगवान भोलेनाथ का निराकार स्वरूप प्रतीक लिंग का पूजन सर्वप्रथम ब्रह्मा और भगवान विष्णु के द्वारा हुआ, जिस कारण यह तिथि शिवरात्रि के नाम से विख्यात हुई। महा शिवरात्रि पर भगवान शंकर का रूप जहां प्रलयकाल में सं

Gyani Pandit Ji - पीपल में है शनि देव का वास !

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पीपल में है शनि देव का वास ! हमारे सनातन धर्म में सभी पेड़ पौधो में पीपल की पूजा का अत्यंत महत्व है | धर्म शास्त्रों में बताया गया है की इस पेड़ में त्रिदेव के साथ लक्ष्मी जी शनि और बालाजी महाराज का भी वास है | सभी 33 कोटि देवी देवता इसमे निवास करते है | शनिवार के दिन भगवान शनिदेव संध्या के समय इस वृक्ष में निवास करते है अत: शनिवार के दिन संध्या के समय एक तेल का दीपक जरुर प्रज्जवलित करना चाहिए | आइये जाने कैसे शनि भगवान का वास पीपल में हुआ , इससे जुडी पौराणिक कथा, क्यों शनि  का वास पीपल में ! एक समय कि बात है असुरो ने तीन लोक और चौदय भुवन में अपना आतंक पनपा रखा था | एक असुर कैटभ ने तो एक ऋषि आश्रम में पीपल का रूप धारण कर रखा था | जब भी कोई ऋषि किसी कारण वश उस पेड़ के निचे आता तो वो असुर उसे निगल जाता | इस तरह उस आश्रम से ऋषि गण कम होने लगे | वे कैसे लापता हो रहे थे , यह सभी के लिए पहेली बना हुआ था | सभी ऋषि मुनि सूर्यदेवता के पुत्र शनिदेव के पास गए और उनसे सहायता कि गुहार लगाईं, तब शनिदेव उनकी प्रार्थना सुनकर एक ऋषिमुनि के वेश धारण किया और उस आश्रम में रहने लगे | एक दिन वे

Gyani Pandit Ji - क्यों होती है खंडित शिवलिंग की पूजा?

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क्या आप जानते है की सिर्फ भगवान शिव के ही रूप शिवलिंग की पूजा खंडित रूप में भी हो सकती है | जबकि अन्य सभी देवी देवताओ की मूर्तियाँ खंडित होने पर पूजा के योग्य नही मानी जाती | उन टूटी हुई प्रतिमाओ को पीपल के वृक्ष की जड़ में रख दिया जाता है | ध्यान रखे यदि शिव प्रतिमा टूट गयी है तो उसकी भी पूजा नही करनी चाहिए | क्यों होती है खंडित शिवलिंग की पूजा शिव के जन्म कथा से पता चलता है की शिव निराकार और साकार दोनों रूप में पूजे जाते है | शिव के साकार रूप में उनकी प्रतिमा तो निराकार रूप में शिवलिंग की पूजा की महिमा बताई गयी है | शिवलिंग की पूजा सबसे अच्छी महान बताई गयी है | यदि शिवलिंग कितना भी खंडित हो जाये , हर अवस्था में पूजनीय माना गया है | शास्त्रों में हर तरह के शिवलिंग की महिमा और महत्व बताया गया है | शिवलिंग पूजा विधि से सभी मनोरथ और कामना पूर्ण होती है | इस पूजा में ध्यान रखे की कैसे करे शिव को प्रसन्न | सभी शिव भक्तो को यह जरुर ध्यान रखना चाहिए की शिवलिंग की पूजा करते समय उनका मुख उत्तर दिशा में होना चाहिए | शिवलिंग की परिक्रमा भी कभी पूरी नही करनी चाहिए क्योकि जलधारी को कभी

Gyani Pandit Ji - जानिए शिव की वेशभूषा का रहस्य?

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जानिए शिव की वेशभूषा का रहस्य? समस्त हिन्दू देवी - देवताओ में महादेव शिव के वेशभुसा सबसे विचित्र और रहस्मयी है तथा आध्यात्मिक रूप से भगवान शिव के इस वेश और रूप में अत्यन्त गहरे अर्थ छिपे हुए है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव के वेश-भूसा से जुड़े इन प्रतिको के रहस्यों को जान लेने पर मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।भगवान शिव की वेश-भूसा ऐसी है की हर धर्म का व्यक्ति उसमे अपना प्रतीक ढूढ़ सकता है। आइये जानते है भगवान शिव और उनकी वेश-भूसा से जुड़े रहस्य। क्यों है भगवान शिव के ललाट पर तीसरा नेत्र :- 〰️ 〰️ 🌼 〰️ 〰️ 🌼 〰️ 〰️ 🌼 〰️ 〰️ 🌼 〰️ 〰️ हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार अधिकतर सभी देवताओ की दो आँखे है परन्तु भगवान शिव ही एक मात्र ऐसे देवता बताए गए है जिनकी तीन आँखे है जिस कारण वे त्रिनेत्रधारी भी कहलाते है। हिन्दू धर्म के अनुसार ललाट पर तीसरी आँख आध्यात्मिक गहराई को बताती है। तीसरी आँख से अभिप्राय मनुष्य का संसार के सभी बन्धनों से मुक्त होकर सम्पूर्ण रूप से ईश्वर को प्राप्त हो जाना है। जहा भगवान शिव की तीसरी आँख स्थित है वह आज्ञा चक्र का स्थान भी है जो मनुष्य के बुद्धि का स्रो