Gyani Pandit Ji - होली क्यों मनाते हैं?

होली को ‘रंगों का त्यौहार’ कहा जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार होली फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है Holi Festival Celebration in Hindi. होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग आपस में रंग और पानी फैंकते है उर एक दूसरे को होली की बधाई देते हैं. बच्चे, जवान और बूढ़े सब इस त्योहार में मस्ती, गाना और डांस करते हैं. ढोल और लाउडस्पिकर में ज़ोर ज़ोर से गाने बजाते हैं और डांस करते हैं. हिन्दू धर्म के अन्य त्यौहारों की तरह होली का त्योहार भी पौराणिक और सांस्कृतिक है. होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार होली से हिरण्यकश्यप की कहानी जुड़ी है।
हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था जो अपने छोटे भाई की मौत का बदला भगवान विष्णु से लेना. था क्यूंकी भगवान विष्णु ने ही उसके छोटे भाई को मारा था. हिरण्यकश्यप ने अपने छोटे भाई का बदला लेने के लिए ब्रम्हा जी की तपस्या की और उसे वरदान भी मिल ही गया. ब्रम्हा जी से मिले इस वरदान से हिरण्यकश्यप को घमंड हो गया और खुद को ही भगवान समझने लगा और लोगों से खुद की पूजा और भक्ति करने को कहने लगा। बहुत सालों बाद हिरण्यकश्यप राजा का एक बेटा पैडड़ा हुआ जिसका नाम प्रहलाद पड़ा. प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। वा अपने दुष्ट पिता का कहना नही मानता था और वह भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति में ही विलीन रहता था. यह देख कर हिरण्यकश्यप को बहुत गुस्सा आता था क्यूंकी वो भगवान विष्णु को अपना शत्रु समझता था.
ऐसे में भक्त प्रह्लाद का भागवान विष्णु की भक्ति करना उनको रास नही आता था और हरिण्यकश्यप प्रहलाद को भक्ति करने से रोका करते थे जब भक्त प्रहलाद नहीं माने तो हरिण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था. होलिका को वरदान प्राप्त था की उसको आग जला नही सकती. हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए और इस तरह हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को मारने का प्लान तैयार कर लिया. हिरण्यकश्यप की योजना प्रहलाद को जलाकर मारने की थी लेकिन उसकी यह योजना सफल नहीं हो सकी.
   
क्योंकि प्रहलाद भगवान विष्णु बहुत बड़ा भक्त था और हर समय विष्णु भगवान को पुकारता रहता था. विष्णु ने भक्त प्रहलाद की पुकार सुनी और उसको सुरछा कवच प्रदान किया. इस तरह भक्त प्रहलाद होलिका की गोद में बैठा रहा और होलिका जलकर राख हो गई . होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है। होलिका के भस्म होने के बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया. इस तरह संसार से बुराई का नाश हुआ और अच्छाई की जीत. इसके चलते उत्तर भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले होलिका जलाई जाती है.
होली में रंग क्यू लगते हैं? Why is holi celebrated with colours?
हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है.  भगवान कृष्ण वृंदावन और गोकुल में अपने साथियों के साथ होली मनाते थे। भगवान कृष्ण अपने साथियों संग गाँव की गोपियों संग मज़ाक भरी शैतानियां करते थे और सब लोगों को परेशान करते थे. इसीलिए आज बजी वृंदावन की होली दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं.
यह कहानी भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण के समय तक जाती है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली मनाते थे, इसलिए होली का यह तरीका लोकप्रिय हुआ। वे वृंदावन और गोकुल में अपने साथियों के साथ होली मनाते थे। वे पूरे गांव में मज़ाक भरी शैतानियां करते थे। आज भी वृंदावन जैसी मस्ती भरी होली कहीं नहीं मनाई जाती।
वसंत का त्योहार- Basant festival in Hindi
होली को वसंत का त्योहार भी कहा जाता है.क्यूंकी इसके आने पर सर्दियां खत्म होती हैं। उत्तर भारत में कहीं कहीं होली को ‘वसंत महोत्सव’ भी कहा जाता है. वसंत की फसल पकने और अच्छी फसल पैदा होने की खुशी में किसान होली का त्योहार मनाते हैं। बसंत फेस्टिवल 2018 में सोमवार, 22 जनवरी 2018 को मनाया जाएगा Basant festival 2018 news.
होली के रंग- Colors of holi
होली के त्योहार में रंगों का बहुत ही महत्वपूर्ण रोल होता है. वर्षों पहले होली के रंग टेसू या पलाश के फूलों से बनते थे. उन रंगों को गुलाल कहते थे. गुलाल में केमिकल का उसे नही होता था इसलिए गुलाल त्वचा के लिए बहुत अच्छे होते थे. लेकिन समय बढ़ने के साथ ही रंगों की परिभाषा भी बदलती गई। आजकल गुलाल बनाने वाली कंपनीज़ गुलाल बनाने में बहुत से रसायन का प्रोयोग करती हैं जो हमारे त्वचा के लिए बहुत ही हानिकारक होते हैं. ये रसायन से युक्त गुलाल हमारे त्वचा और आँखों के लिए बहुत ही नुक़सानदायक शाबिट होते हैं. हम सभी को इन रसायन वाले रंगों से बचना चाहिए और इस पवित्र त्योहार को इसके ओरिजिनल रूप में मानना चाहिए ताकि प्यार, आदर और सम्मान का यह त्योहार अपनी पारंपरिक रूप को ना खोए.
होली का महत्व- Importance of Holi in Hindi
होली अलग अलग राज्यों में अलग अलग तरीके से मनाई जाती हैं. कहीं कहीं यह 2 दिन तक मनाया जाता है तो कहीं कहीं 7 या 8 दिन या फिर महीने भर. इसीलिए तो भारत को अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है. अलग अलग तरीके होने के बावजूद सब एक हैं. वृंदावन और गोकुल में तो महीने भर पहले से ही होली की तैयारी शुरू हो जाती है. वृंदावन और गोकुल की होली विश्व प्रसिद्ध है. हज़ारों विदेशी मेहमान हर साल वृंदावन आते हैं और यहाँ की होली का आनंद उठाते हैं. इसके वावजूद देल्ही और आसपास में होली 3 दिनों तक मनाई जाती है.  जिसमे पहले दिन घर का सबसे बड़ा सदस्य बाकी सदस्यों पर रंग छिड़कता है और होली की सूभ कामनायें देता है. होली के दूसरे
दिन होलिका जलाई जाती है। और तीसरे दिन सभी लोग एक दूसरे पर रंग और पानी डाला जाता है। और एक दूसरे को होली की बधाई देते हैं और घर घर जाकर लोग आपस में मिलते जुलते है और एक दूसरे के गीले शिकवे भूलकर नयी दोस्ती की शुरूवात करते है.
2018 होली- Holi kab hai 2018
शुक्र्वार, 2 मार्च 2018 को पूरे भारतवर्ष में होली का त्योहार मनाया जाएगा.
होलिका दहन पूजा 2018 की तारीख और समय- Holika dahan 2018 date and time
बृहस्पतिवार, 1 मार्च 2018 को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाएगा.  होलिका दहन का मुहूरत शाम 18:20 से 19:51 अवधि= 1 घंटा 30 मिनट तक का शुभ है 
धर्मसिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार होलिका दहन के लिए तीन चीजों का एक साथ होना बहुत ही शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि हो, प्रदोष काल हो और भद्रा ना लगा हो। इस साल होलिका दहन पर ये तीनों संयोग बन रहे हैं। इसलिए होली आनंददायक और शुभ रहेगी। 

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